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………..आम चुनाव 2014 आने वाले हैं और हमारे पालक एक और पाल ले कर आ गए ,इतने सारे पालक कम थे ? नेता , सरकारी मशीनरी , जज ,पुलिस ,सीबीआई , सरकारी मास्टर , टीवी मीडिया और अब लोकपाल ये क्या करते थे जो ये कर लेंगे ? इन सबका मतलब क्या है? ये एक ऐसी मशीनरी है जो प्रसाशन के नाम पर जनता और देश को लूटने में व्यस्त है!ये सब ऐसी मशीन हैं कि यहाँ से 100 रूपए डालो दूसरी तरफ से 5 रूपए निकलता है !
………..मैं ही नहीं ये बात सब जानते हैं एक बार तो भूतपूर्व प्रधानमंत्री द्वारा ये बात भरी सभा में निकल गयी थी ! भ्रस्टाचार के नाम पर ना जाने कितने भ्रष्टाचारी और बिठा दिए जाते हैं ! भ्रस्टाचार कोई समस्या है ही नहीं , भ्रस्टाचार तो तब है कि किसी को पता न हो……… यहाँ तो पूरा जाल है पैसा सरकार से भेजा ही तभी जाता है जब उनके जेबों में आने की पूरी सम्भावनाएं तैयार कर ली जाती हैं , ये जिसे भ्रष्टाचार कह रहे हैं क्या उन्हें पता नहीं है पैसा कहाँ और कैसे खर्च होता है ? देश की तीन चौथाई जनसंख्या का खर्च भ्रष्टाचार से ही चलता है !
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……….लोग कहते हैं नेता भ्रष्ट हैं , लेकिन भ्रष्ट कौन नहीं है ? भ्रष्टाचार , कदाचार ,व्याभिचार ,दुराचार ये हमारी जीवन शैली हो गयी है ,जब नेता नोट ,शराब ,लेपटॉप ,टीवी .आरक्षण ,रोजगार भत्ता ,फ्री बिजली ,फ्री पानी देते हैं तब कोई पूछता है कि तुम कहाँ से दोगे ? और क्यों दोगे ? और मान भी लेते हैं ? कभी पूछा इनके बदले क्या नहीं दोगे ? कया क्या काटोगे तब ये सब फ्री बांटोगे ?
……………..एक नए नेता आये हैं मेष राशि के श्री अरविन्द केजरीवाल इनको ये गलतफहमी हो गयी है कि जो घोटाले होते हैं सब नेता खा जाते हैं , जैसे बाबा रामदेव इनको तो ये भी पता है नेता लोग पैसा कहाँ रखते हैं ……….ज़रा गौर कीजिये जनाब ने घोषित 20 करोड़ रुपया चुनाव में बहा दिया और कहते हैं हम ईमानदार हैं …..बाकी नेता कान थोडा घुमा के पकड़ते हैं और ये सीधा और कुछ नहीं …….बाकी सब ठेकेदारो और कंपनियों से चन्दा इकट्ठा करते है और ये डायरेक्ट ………बाकी चोरी करते हैं और ये डकैती और मूर्ख जनता खुश है !
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……………सर जी (केजरीवाल) के 18 मुद्दे है …..लेकिन एक भी मुद्दा विकास से मतलब नहीं रखता ! रेवड़ियों की चिंता है कैसे बांटे जिससे जनता इनकी जयजयकार करे और आमआदमीपार्टी को दोबारा भारी बहुमत से दिल्ली और देश में सरकार चलने का मौका दें ! ये काम आज से 25 साल पहले लालू प्रसाद यादव ने किया था ………गरीब जनता को समझाया कि रोड , बिजली का तुम क्या करोगे ? ये तो अमीरो के लिए होती हैं उनकी गाड़ी चलेगी इन पर और बिजली से इनकी टीवी ……….पूरे प्रदेश में लूट मच गयी ……ये जनता के रक्षक ही समय जाते जाते अपनी जनता के भक्षक बन गए ! आज इनका आम आदमी आज पूरे देश में कटोरा लिए घूम रहा है कई जगह तो पिटते और भगाए भी जाते हैं ……..और दूसरी ओर आज के धर्मनिरपेक्ष मुख्यमंत्री दिल्ली में जब अपने ही लोगों से वोट मागने जाते हैं तब भी पानी पर चढ़ा कर आते हैं कि बिहारी किसी पर बोझ नहीं हैं बोझ उठाते जरूर हैं …….हद हो गयी नीचता की !
………….वोट मिल जाना कोई मुश्किल काम नहीं है इस अनपढ़ ,गरीब जनता को बेवक़ूफ़ बनाना बहुत आसान है बस पूरी बात मत बताओ मतलब की बात करो जैसे चुनाव चिन्ह ”झाड़ू” से न जाने कितने सफाई कर्मचारी और हमारे हरिजन बंधु केजरीवाल से जुड़ गए और मायावती को दिल्ली से साफ़ कर दिया …………ना जाने कितने ऑटो वाले चूँकि उनको प्रचार का माध्यम बनाया गया कमाई बढ़ती देख केजरीवाल को वोट दे गए ………..आईआईटी के भाई बंधुओं से क्या कह कर वोट लिए गए होंगे समझना बहुत आसान है ! लेकिन इनको पूरी बात बताते कि हम आपके बिजली के बिल तो आधे कर देंगे लेकिन अगर कोई घोटाला नहीं हुआ और बिजली कंपनियों को अगर आधा बिल भरा तो बिजली मिलना भी बंद हो सकती है , बताते अगर प्रति घर ७०० लीटर पानी अगर दिल्ली में अगर उपलब्ध ना हुआ तो या इस काम में अगले १०साल भी लग सकते हैं और अगर फ्री और फालतू खर्च की बजह से सरकार के पास पैसा न बचा तो सड़कें भी खराब हो सकती हैं ……………..बात पूरी करके फिर वोट लो तब मानूं कि ये जनता की सरकार है और जनता ने चुनी है !
……………जब वेवकूफ ही बनाना है तो मोदी की तरह बनाओ अपने १-१ घंटे के भाषणों में कोइ वादा नहीं कोई संकल्प नहीं और वोट भी पक्के , ये जनता का रोज रोज खून पी के कोई फ़ायदा थोड़े है हर बात जनता से पूछेंगे अरे तो चुनाव की क्या जरुरत है अन्ना को देखो साल में १०-१५ दिन भूख हड़ताल और काम हो गया संसद तक गुणगान करते नहीं थक रही ! अन्ना को ये बात देर में समझ आयी कि झाड़ में फस गए हैं …………इन मूर्खों के चक्कर में ८० साल की उम्र में बदनाम हो जायेंगे और नए मुलायम और लालू पैदा हो जायेंगे …………अगर वो आज भी ना समझते तो १० साल बाद ही सही बदनाम जरूर होते ! ऊपर से देश और २० साल पीछे चला जाता सो अलग ………….. प्रणाम ,धन्यवाद और ढेरों शुभकामनाएं मेरी तरफ से अन्ना जी को !
वंदे मातरम
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